जापान चुनाव: प्रधानमंत्री इशिबा की नई नीतियों को लेकर जनता का रुख और सत्ताधारी गठबंधन की चुनौती

टोक्यो जापान में इस रविवार को प्रतिनिधि सभा के लिए मतदान शुरू हो चुका है, और इसे देश की आर्थिक, राजनीतिक और कूटनीतिक दिशा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के नेतृत्व में सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी और कोमीतो ब्लॉक की चुनौती न केवल बहुमत हासिल करना है, बल्कि देश की आर्थिक अनिश्चितताओं, विदेश मामलों में बढ़ते तनाव और राजनीतिक अस्थिरता से निपटने के लिए आवश्यक जन समर्थन भी प्राप्त करना है। हाल ही में फुमियो की जगह शिगेरु इशिबा को लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) का अध्यक्ष चुना गया था, और वे जापान के प्रधानमंत्री बने हैं।

हालांकि जापान में अगला चुनाव 2025 में होना था, लेकिन शिगेरु इशिबा ने पीएम पद संभालते ही अपने नए नेतृत्व की स्वीकार्यता और नीतियों के लिए एक प्रकार के जनमत संग्रह के रूप में चुनाव की घोषणा कर दी। इशिबा की सरकार को आगामी समय में महंगाई, आर्थिक अस्थिरता और चीन के साथ बढ़ते तनाव जैसी जटिलताओं का सामना करना है, और इन चुनावों के परिणाम उनके इन मुद्दों से निपटने की दिशा तय कर सकते हैं।

विभिन्न पोल सर्वेक्षणों में सत्तारूढ़ एलडीपी-कोमीतो ब्लॉक की स्थिति को लेकर मिश्रित परिणाम सामने आए हैं। इन सर्वेक्षणों के मुताबिक, संभावना जताई जा रही है कि पार्टी निचले सदन में पूर्ण बहुमत से दूर रह सकती है, जो इशिबा की नीतियों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। इस चुनाव में जनता के समक्ष यह सवाल है कि क्या वे इशिबा के नेतृत्व को स्वीकार करेंगे, या फिर विपक्षी दलों को अवसर प्रदान करेंगे।