शिक्षकों की एक दिवसीय हड़ताल से शिक्षा व्यवस्था चरमराई, लाखों छात्रों की पढ़ाई प्रभावित
रायपुर : छत्तीसगढ़ के लगभग 1 लाख 80 हजार शिक्षक गुरुवार को सामूहिक अवकाश लेकर एक दिवसीय हड़ताल पर चले गए, जिससे राज्य के कई स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था ठप हो गई और बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई। यह हड़ताल छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले हो रही है, जिसमें शिक्षकों की प्रमुख मांगें वेतन विसंगति, पदोन्नति, समयमान, पेंशन, और अन्य अधिकार शामिल हैं। इस हड़ताल का प्रमुख उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना है, ताकि वह शिक्षकों के हित में वादों को पूरा कर सके।
शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संचालक वीरेंद्र दुबे ने बताया कि आज प्रदेशभर में शिक्षक जिला मुख्यालयों पर रैलियां निकालेंगे और मुख्यमंत्री एवं शिक्षा सचिव के नाम ज्ञापन सौंपेंगे। उनकी मांग है कि सरकार अपने चुनावी जनघोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करे। उन्होंने विशेष रूप से यह कहा कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर की जाए, बोनस वेतनमान दिया जाए, और केंद्र के समान देय तिथि से महंगाई भत्ता प्रदान किया जाए। दुबे के अनुसार, सरकार ने इन मांगों को अब तक नजरअंदाज किया है, जिसके चलते शिक्षकों में असंतोष और आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
दुबे ने कहा कि शिक्षकों की ये हड़ताल केवल एक प्रारंभिक कदम है, और यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो भविष्य में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को अपना वादा पूरा करना चाहिए, ताकि शिक्षक अपनी जिम्मेदारी के साथ स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ा सकें और राज्य की शिक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके।
इस हड़ताल के चलते पूरे राज्य में स्कूलों की तालाबंदी की स्थिति बन गई है, जिससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। दुबे ने इस स्थिति के लिए शासन और प्रशासन को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि पहले भी कई बार शिक्षकों ने सरकार को अपनी मांगों से अवगत कराया, लेकिन सरकार की लगातार अनदेखी के कारण शिक्षक विवश होकर सड़कों पर उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस बार भी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो यह आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।
शिक्षकों की इस हड़ताल ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर असर डाला है। एक ओर जहां शिक्षक अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। यह स्थिति राज्य सरकार और शिक्षकों के बीच तनावपूर्ण संबंधों को दर्शाती है, और इसका समाधान ढूंढने के लिए सरकार पर काफी दबाव है
