भारत-कनाडा संबंधों में नया मोड़: संदीप सिंह सिद्धू का नाम आतंकियों की सूची में शामिल

नई दिल्ली:  भारत और कनाडा के बीच पहले से ही तनावपूर्ण राजनयिक संबंध अब और अधिक जटिल हो गए हैं, जब भारत ने कनाडाई सीमा सेवा एजेंसी (CBSA) के एक अधिकारी संदीप सिंह सिद्धू को भगोड़े आतंकियों की सूची में शामिल कर दिया है। यह कदम भारत के सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़े मामलों को लेकर सख्त रवैये का प्रतीक है, लेकिन इसके साथ ही दोनों देशों के बीच पहले से जारी कूटनीतिक तनाव को और भड़काने का संकेत भी है।

संदीप सिंह सिद्धू की पहचान और विवाद

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संदीप सिंह सिद्धू कनाडाई सीमा सेवा एजेंसी के एक उच्च पदस्थ अधिकारी हैं, और उनके नाम को भारत ने अपनी भगोड़े आतंकियों की सूची में शामिल किया है। यह सूची उन व्यक्तियों पर केंद्रित है जो भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा माने जाते हैं। सिद्धू का इस सूची में नाम आने से दोनों देशों के बीच पहले से गर्माए रिश्तों में और तनाव की संभावना जताई जा रही है।

राजनयिक संबंधों में बढ़ते तनाव के कारण

भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ महीनों से तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं, जिसका कारण विभिन्न मुद्दे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से खालिस्तानी समर्थक गतिविधियों पर कनाडा का उदार रवैया और भारत की सुरक्षा चिंताएं शामिल हैं। इस विवाद ने तब और तूल पकड़ा जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के साथ एक बड़े राजनयिक विवाद का संकेत दिया। इस नए घटनाक्रम ने दोनों देशों के संबंधों में और भी कड़वाहट पैदा कर दी है।

आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा पर भारत का कड़ा रुख

भारत ने हमेशा से ही आतंकवाद और आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। इस मामले में भी, संदीप सिंह सिद्धू को सूची में शामिल करने का फैसला देश की सुरक्षा प्राथमिकताओं और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का एक हिस्सा है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बार-बार जोर देकर कहा है कि आतंकवाद और उससे जुड़े किसी भी प्रकार के समर्थन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह किसी भी देश से संबंधित हो।

कनाडा की प्रतिक्रिया और भविष्य की स्थिति

इस घटनाक्रम के बाद अब कनाडा की प्रतिक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हैं। कनाडाई सरकार का यह कहना कि वह सिद्धू के नाम को सूची में शामिल करने का विरोध करेगी, निश्चित रूप से राजनयिक वार्ता को और भी कठिन बना सकता है। इसके साथ ही, कनाडा के भारतीय समुदाय में भी इस घटनाक्रम के प्रभाव का आकलन किया जा रहा है, क्योंकि कई कनाडाई नागरिक भारतीय मूल के हैं, और वे इस तरह के विवादों से प्रभावित हो सकते हैं।

इस घटनाक्रम ने भारत-कनाडा संबंधों में एक नया और गंभीर मोड़ ला दिया है, जहां न केवल कूटनीतिक रिश्तों पर असर पड़ सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसकी गूंज सुनाई दे सकती है।