महाराष्ट्र और झारखंड में ओवैसी का आक्रामक कदम, शिंदे-फडणवीस सरकार पर सीधा निशाना

हैदराबाद  AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों को लेकर बड़ा दावा करते हुए सियासी रणनीति का खुलासा किया है। ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र में एक मजबूत उपस्थिति बनाए रखने के लिए चुनाव में शिंदे और फडणवीस की सरकार बनने नहीं देगी। ओवैसी के मुताबिक, महाराष्ट्र में AIMIM पहले से ही राजनीतिक तौर पर सक्रिय है और यहां उनकी पार्टी दो विधायकों के साथ पहले से मौजूद है। इसके अलावा, पांच अन्य उम्मीदवारों की भी घोषणा कर दी गई है, जिससे साफ है कि महाराष्ट्र में AIMIM चुनावी मैदान में पूरी तरह से उतरने के लिए तैयार है।

ओवैसी ने महाराष्ट्र के पूर्व सांसद इम्तियाज जलील द्वारा कांग्रेस नेता नाना पटोले और एनसीपी प्रमुख शरद पवार को सीटों के बंटवारे को लेकर पत्र लिखे जाने की जानकारी दी। इसके साथ ही, मराठा आरक्षण के समर्थक जारांगे पाटिल से भी बातचीत हुई है। अब यह जारांगे पाटिल पर निर्भर करता है कि वह मराठा समुदाय की राजनीतिक स्थिति को लेकर क्या फैसला लेते हैं।

झारखंड के संबंध में ओवैसी ने बताया कि उनकी पार्टी ने आदिल हसन और रियाज उल हसन इफेन्डी को झारखंड भेजा है, जो राज्य की राजनीतिक स्थिति का आकलन करेंगे और तय करेंगे कि AIMIM वहां विधानसभा चुनाव लड़ेगी या नहीं। ओवैसी ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर गहराई से विचार करेगी कि उन्हें झारखंड में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए और उनके चुनावी प्रदर्शन की क्या संभावनाएं हैं।

बिहार उपचुनाव को लेकर भी AIMIM सतर्क है, और अख्तरुल ईमान वहां के चुनावी हालात की समीक्षा करेंगे। उत्तर प्रदेश उपचुनाव में, ओवैसी ने डॉ. पल्लवी पटेल और अपना दल (कमेरावादी) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। AIMIM उत्तर प्रदेश में दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी और चुनाव में उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

इस बीच, बहराइच में हुई पुलिस मुठभेड़ पर ओवैसी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “ठोक दो” नीति की निंदा करते हुए कहा कि यह कानून और संविधान के खिलाफ है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने मुठभेड़ में शामिल आरोपियों को गिरफ्तार करने के बजाय उन्हें मारने का रास्ता चुना, जो संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। ओवैसी ने पुलिस की मुठभेड़ को लेकर तंज कसा कि इसे नेटफ्लिक्स पर दिखाया जा सकता है और इस तरह के मुठभेड़ करने वाले पुलिसकर्मियों को ओलंपिक में निशानेबाजी के लिए भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान और कानून के तहत हर किसी को न्यायिक प्रक्रिया का अधिकार है और पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी मामले का निपटारा अदालत में हो, न कि पुलिस की गोलियों के जरिए।

ओवैसी का यह बयान उनकी पार्टी की आक्रामक चुनावी रणनीति और उनके राजनीतिक एजेंडे को साफ तौर पर दर्शाता है। जहां एक ओर वह झारखंड और महाराष्ट्र में चुनावी संभावनाओं का आकलन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश और बिहार में भी अपनी उपस्थिति को मजबूत करने की योजना बना रहे हैं।