“कन्नूर एडीएम नवीन बाबू की मौत: प्रशासनिक तंत्र पर मानसिक दबाव और भ्रष्टाचार के आरोपों का काला साया”

पथानामथिट्टा:  कन्नूर के एडीएम (अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट) नवीन बाबू की मौत ने पूरे राज्य में गहरा शोक और संवेदना का माहौल पैदा कर दिया है। नवीन बाबू, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा, ने अपने स्थानांतरण विदाई समारोह के अगले ही दिन आत्महत्या कर ली थी। यह घटना न केवल उनके परिवार, बल्कि उनके सहयोगियों और राज्य के प्रशासनिक वर्ग में भी एक गहरा आघात बनकर उभरी है। उनकी अंतिम यात्रा के दौरान एक गहन भावनात्मक दृश्य देखने को मिला, जब कई वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। आईएएस अधिकारी दिव्या एस अय्यर, जो पथानामथिट्टा जिले की पूर्व जिला कलेक्टर रह चुकी हैं, अपने आंसुओं को रोक नहीं पाईं और अपने सहकर्मी के साथ बिताए पलों को याद करते हुए भावुक हो गईं।

दिव्या अय्यर ने नवीन बाबू के साथ काम करने के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “हमने एक परिवार की तरह साथ काम किया था। मुझे उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर यकीन नहीं हो रहा है। वह निस्वार्थ भाव से काम करने वाले, सरल और निष्पक्ष इंसान थे।” उन्होंने बताया कि जब नवीन बाबू को कसारागोड के डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति मिली थी, तो उन्होंने दिव्या अय्यर को फोन किया था। वह बहुत खुश थे और उनके साथ एक तस्वीर खिंचवाई थी। “तब मैंने उन्हें आखिरी बार देखा था। यह सोचकर दिल भारी हो जाता है कि अब उन्हें इस तरह देखना पड़ा।” यह कहते हुए दिव्या अय्यर की आंखें नम हो गईं।

नवीन बाबू की आत्महत्या का मामला तब सामने आया जब विदाई समारोह के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष पीपी दिव्या ने उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। यह आरोप मुख्य रूप से एक पेट्रोल पंप की मंजूरी में देरी को लेकर थे, जिस पर पंचायत अध्यक्ष ने सार्वजनिक रूप से उनकी आलोचना की थी। इन आरोपों से आहत होकर नवीन बाबू ने अगले ही दिन अपने क्वार्टर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उनकी मौत के बाद राज्यभर में शोक की लहर दौड़ गई, और कई अधिकारी, नेता, और सामाजिक कार्यकर्ता इस दुखद घटना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने लगे।

पथानामथिट्टा जिले के पूर्व कलेक्टर पीबी नूह, जिन्होंने नवीन बाबू के साथ काम किया था, ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट लिखते हुए कहा, “नवीन बाबू एक कोमल हृदय के व्यक्ति थे। उन्होंने हमेशा बिना किसी दंभ के लोगों से मुलाकात की और अपने काम को बेहतर तरीके से अंजाम दिया। 2018 में आई बाढ़, सबरीमाला विवाद और कोविड-19 के दौरान उन्होंने अपनी कर्तव्यनिष्ठा से बेमिसाल काम किया था। उनका ऐसे चले जाना वाकई असहनीय है।”

इस घटना ने पूरे प्रशासनिक वर्ग को झकझोर कर रख दिया है। गुरुवार सुबह जब नवीन बाबू का पार्थिव शरीर मलयालापुझा स्थित उनके घर लाया गया, तो वहां का माहौल अत्यंत गमगीन हो गया। उनकी पत्नी, बेटियां, और परिवार के अन्य सदस्य गहरे शोक में डूबे रहे और रोते हुए उनके शरीर के पास बैठे रहे। इस दौरान कई वरिष्ठ अधिकारी, मंत्री, और राजनेता भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

राजस्व मंत्री के. राजन और स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने भी नवीन बाबू के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। राजस्व मंत्री ने साफ किया कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की कोई औपचारिक शिकायत नहीं की गई थी और उनकी मौत के कारणों की जांच की जाएगी। इस बीच, विपक्षी दल कांग्रेस और भाजपा ने इस मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष पीपी दिव्या से इस्तीफे की मांग की है, और उनकी भूमिका की भी गहन जांच की मांग उठाई है।

नवीन बाबू की आत्महत्या न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह घटना प्रशासनिक अधिकारियों पर पड़ने वाले मानसिक दबाव और जिम्मेदारियों की भी एक गंभीर तस्वीर पेश करती है। राज्य प्रशासन में जहां भ्रष्टाचार के आरोप अक्सर लगते रहते हैं, वहीं ऐसे आरोपों के बीच अधिकारियों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।

यह मामला आने वाले दिनों में और भी गंभीर चर्चा का विषय बनेगा, और प्रशासनिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया जाएगा, ताकि ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।