इस मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राजेश खंडेलवाल ने अदालत को जानकारी दी कि दुर्घटना के समय बस की अनियमितताओं के चलते पीड़ित परिवार को न्याय मिलना आवश्यक है। अदालत ने इस गंभीर घटना को ध्यान में रखते हुए बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह मृतक के परिवार को करीब एक करोड़ रुपये की राहत राशि प्रदान करे। यह राशि न केवल आर्थिक सहायता के रूप में महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें ब्याज भी शामिल किया गया है, जिससे पीड़ित परिवार को अधिकतम सहायता मिल सके।
इस निर्णय ने इंदौर में सड़क सुरक्षा और सार्वजनिक परिवहन की सुरक्षा के मुद्दों पर एक बार फिर से चर्चा को जन्म दिया है। अदालत का यह फैसला न केवल रणजीत सिंह के परिवार के लिए राहत का माध्यम बनेगा, बल्कि यह अन्य लोगों के लिए भी एक चेतावनी है कि सड़क पर सुरक्षित यात्रा का महत्व कितना जरूरी है। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी के जीवन में लापरवाही या अनियमितताएं सीधे प्रभाव डालती हैं, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला एक महत्वपूर्ण मिसाल के रूप में उभरा है, जहां न्यायालय ने न केवल कानून को लागू किया, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों का भी ध्यान रखा। इस निर्णय से यह संदेश जाता है कि न्याय केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के लिए वास्तविकता है जो कठिन परिस्थितियों में जी रहे हैं।