समाजवादी पार्टी के चार नेताओं पर गंभीर आरोप: नौकरी का झांसा देकर फार्म हाउस में दुष्कर्म का मामला

उत्तर प्रदेश:  हाल के दिनों में समाजवादी पार्टी के नेताओं पर दुष्कर्म के गंभीर आरोपों की कड़ी लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे पार्टी की छवि पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। सबसे पहले अयोध्या में मोइद अहमद खान, फिर कन्नौज से नवाब सिंह यादव और भदोही से विधायक जाहिद बेग का नाम आपराधिक मामलों में सामने आया। अब एटा में पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव, उनके भाई और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव समेत रामेश्वर यादव के दो बेटों प्रमोद यादव और सुबोध यादव पर एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया है। इस मामले ने समाजवादी पार्टी के नेताओं पर लगे अन्य मामलों के बीच एक और बड़ी घटना जोड़ दी है।

महिला द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार, पीड़िता ने आरोप लगाया है कि उसे फार्म हाउस पर काम दिलाने के बहाने बुलाया गया था, लेकिन वहां उसके साथ बर्बरता की गई। पीड़िता के अनुसार, यह घटना 4 जनवरी 2015 की है जब वह जुगेंद्र सिंह यादव के फार्म हाउस पर नौकरी के लिए पहुंची थी। फार्म हाउस में जुगेंद्र ने उसे अंदर बुलाया और फिर दुष्कर्म किया। इसके बाद उसके हाथ-पैर बांधकर उसे कमरे में बंद कर दिया। महिला ने 9 साल बाद यह मामला दर्ज कराया है, और अब आरोपियों के खिलाफ बलात्कार सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आरोपियों के खिलाफ पहले से ही 150 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। रामेश्वर यादव और जुगेंद्र यादव दोनों भूमाफिया के रूप में कुख्यात हैं, और वर्तमान में जेल में बंद हैं। रामेश्वर यादव अलीगढ़ जेल में और जुगेंद्र सिंह यादव एटा जिला कारागार में सजा काट रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में उनके खिलाफ कई दुष्कर्म और आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं, जो इस बात को दर्शाते हैं कि इन नेताओं के आपराधिक इतिहास में यह कोई नया मामला नहीं है।

यह घटना समाज के उन तबकों के लिए चिंता का विषय है जहां सत्ता का दुरुपयोग कर महिलाओं का शोषण किया जाता है। महिला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि किस तरह से कुछ नेता अपनी राजनीतिक पहुँच का इस्तेमाल कर संवेदनशील और असहाय लोगों का शोषण करते हैं।

समाजवादी पार्टी के कई नेताओं पर बार-बार सामने आ रहे इन आपराधिक मामलों ने राजनीतिक और सामाजिक जगत में हलचल मचा दी है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या पार्टी इस तरह के आपराधिक मामलों को नजरअंदाज कर रही है, या फिर इसमें कोई सख्त कार्रवाई का अभाव है।

इन मामलों के प्रकाश में आने के बाद अब यह देखना होगा कि क्या समाजवादी पार्टी ऐसे आरोपों का सामना करने के लिए क्या कदम उठाती है, और क्या आरोपियों को कानूनी रूप से उनके अपराधों के लिए सजा मिलती है या नहीं।