सरकार की कैबिनेट बैठक में इस फैसले को मंजूरी देते हुए बताया गया कि वैदिक काल से ही भारतीय संस्कृति में देशी गाय का विशेष महत्व रहा है। गाय का दूध न केवल मानव आहार में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आयुर्वेद चिकित्सा, पंचगव्य उपचार पद्धति, और जैविक कृषि प्रणालियों में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस फैसले का उद्देश्य गाय के प्रति सम्मान और उसकी उपयोगिता को बढ़ावा देना है।
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग की टीम ने 28 सितंबर को महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए दो दिवसीय दौरा किया था। इस दौरे के दौरान आयोग ने विभिन्न राजनीतिक दलों और अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठकें की थीं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 26 नवंबर से पहले कराने की आवश्यकता है, क्योंकि इस महीने में विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने वाला है।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि पिछले दो दिनों में उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सभी राजनीतिक दलों से मुलाकात की और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ भी चर्चा की। इस सब के बीच, गाय को ‘राज्यमाता’ का दर्जा देने का निर्णय राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण घटना माना जा रहा है, जो आगामी चुनावों में संभावित प्रभाव डाल सकता है। यह निर्णय न केवल सांस्कृतिक मान्यता को दर्शाता है, बल्कि यह राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा है, जो सरकार की चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।