अस्पताल की बदहाली से सरकार बेखबर, आयुष्मान भारत पखवाड़ा शिविर में डॉक्टरों की अनुपस्थिति परेशान हो मरीज

मनेन्द्रगढ़ | छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति और सरकार की लापरवाही अब किसी से छुपी नहीं है। वादे तो बहुत हुए, पर ज़मीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। आज हम आपको लेकर चलेंगे छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिला मुख्यालय में, जहां आज आयुष्मान भारत पखवाड़ा शिविर का आयोजन किया गया, लेकिन डॉक्टरों की गैर-मौजूदगी ने इस शिविर को मज़ाक बना दिया। जनता को सुविधा देने का दावा करने वाली सरकार की सच्चाई पर एक नज़र डालते हैं।

एमसीबी जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब आयुष्मान भारत पखवाड़ा शिविर में इलाज के लिए आए ग्रामीणों को डॉक्टरों की कमी का सामना करना पड़ा। 40 से 50 किलोमीटर का सफर तय कर पहुंची महिलाओं को इलाज तो दूर, यह भी नहीं बताया गया कि कौन-कौन से डॉक्टर उपलब्ध हैं। इतने लंबे सफर के बाद भी ग्रामीणों को सिर्फ दवाइयां दी गईं और कहा गया कि अगले दिन फिर आना होगा। सवाल उठता है, जब डॉक्टर ही उपलब्ध नहीं थे, तो इतनी बड़ी संख्या में ग्रामीणों को क्यों बुलाया गया?

“हम इतनी दूर से आए, और यहां आकर पता चला कि डॉक्टर तो हैं ही नहीं। बस हमें दवाई दे दी और कह दिया कि कल आओ। इतनी मुश्किल से यहां पहुंची, और अब फिर से आना पड़ेगा।” सरकारी शिविर का यह हाल है, जहां सुविधाएं देने की बात की जाती है, लेकिन हकीकत में ग्रामीणों को निराशा ही हाथ लगती है।

 

जब इस बारे में अस्पताल के बीएमओ एसएस सिंह से सवाल किया गया, तो उनका कहना था कि वो खुद मरीजों को देख रहे हैं और किसी भी प्रकार की लापरवाही की बात गलत है। उनका दावा है कि जो दवाइयां दी गई हैं, वे पर्याप्त हैं और अगर किसी को शिकायत है, तो उसकी जांच की जाएगी।

स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर चल रही इस ढकोसले बाज़ी से आम जनता को जो तकलीफ हो रही है, वह किसी से छुपी नहीं है। आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं कागज़ पर तो शानदार दिखती हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

 

तो यह थी छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिला मुख्यालय से सच्चाई, जहां स्वास्थ्य सेवाएं खुद बीमार हैं। अब देखना यह है कि सरकार कब जागती है और जनता को वादों की जगह हकीकत में राहत मिलती है या नहीं। इंडिया टाउन न्यूज़ पर आप जुड़े रहें, हम आपको हर अपडेट पहुंचाते रहेंगे।