हाईकोर्ट ने सिद्धिकी की जमानत याचिका को ठुकराया, हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता जताई

कोच्चि:  केरल हाईकोर्ट ने मलयालम फिल्म अभिनेता सिद्धीक की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए दुष्कर्म के आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता पर जोर दिया है। जस्टिस सी.एस. डियास ने स्पष्ट किया कि आरोपी का इस मामले में शामिल होने से इनकार और उसके खिलाफ पोटेंसी परीक्षण का होना अभी बाकी है, जो यह निर्धारित करेगा कि सिद्धीक यौन संबंध बनाने में सक्षम हैं या नहीं। अदालत ने यह भी बताया कि जमानत देने का यह मामला उपयुक्त नहीं है, क्योंकि सिद्धीक पर आरोप है कि वह गवाहों को धमका सकते हैं और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।

पोटेंसी परीक्षण, यौन शक्ति और प्रजनन क्षमता को मापने के लिए किया जाता है, विशेषकर जब यौन अपराध के आरोप होते हैं। कोर्ट ने कहा कि सिद्धीक की हिरासत में पूछताछ आवश्यक है ताकि जांच सही तरीके से की जा सके। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज है, जिसमें एक अभिनेत्री ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। सिद्धीक ने अपनी याचिका में कहा कि शिकायतकर्ता पिछले चार वर्षों से उन्हें परेशान कर रही हैं और उन पर झूठे आरोप लगा रही हैं।

इस निर्णय ने सिद्धीक के खिलाफ चल रही कानूनी प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय मामले की गंभीरता को लेकर कितनी संवेदनशील है। सिद्धीक के लिए यह एक कठिन दौर है, क्योंकि न केवल उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है, बल्कि उनके पेशेवर जीवन पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अब यह देखना होगा कि आगे की कानूनी लड़ाई में क्या परिणाम सामने आता है।