“अंतरिक्ष में संकट: सुनीता विलियम्स को जीवित रहने के लिए पेशाब और पसीने का सहारा”

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बैरी विल्मोर वर्तमान में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में एक अनोखे और चुनौतीपूर्ण संकट का सामना कर रहे हैं। उन्हें अपनी जीवित रहने के लिए पेशाब और पसीने के रिसाइक्लिंग सिस्टम पर निर्भर रहना पड़ रहा है। ISS धरती से लगभग 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जहाँ अंतरिक्ष यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है, खासकर गर्मी के कारण।

अंतरिक्ष स्टेशन में शौचालय एक विशेष डिब्बे के रूप में कार्य करता है, जहाँ मशीनों द्वारा पसीने और पेशाब को संग्रहित किया जाता है। इस प्रक्रिया से प्राप्त पानी को न केवल पीने के लिए, बल्कि कपड़े धोने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ पसीना झाड़ने का विकल्प नहीं होता, इसलिए गंदे कपड़े एक खास वाहन में डालकर धरती पर भेजे जाते हैं, जहाँ वे वातावरण के संपर्क में आते ही जल जाते हैं।

सुनीता विलियम्स ने 5 जून 2024 को ISS के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन उनके बोइंग स्टारलाइनर कैप्सूल में हीलियम गैस लीक की समस्या के कारण उनकी वापसी में देरी हो रही है। इस वजह से उनका मिशन जो पहले आठ दिनों का था, अब कई महीनों तक खिंच सकता है। नासा की उम्मीद है कि सुनीता फरवरी तक धरती पर लौटने में सक्षम नहीं होंगी, जिससे उनकी स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो गई है।

इस अनूठी परिस्थिति में, सुनीता और उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों को अपनी सूझबूझ और संयम के साथ सामना करना पड़ रहा है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण सबक बन जाता है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी जीवन को बनाए रखा जा सकता है।