शतरंज ओलंपियाड: भारत की ऐतिहासिक जीत, डी गुकेश ने विश्व चैंपियनशिप चैलेंजर फाबियानो को मात देकर दिलाया स्वर्ण पदक

बुडापेस्ट:  हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में आयोजित शतरंज ओलंपियाड में भारत ने एक नया इतिहास रचते हुए पहली बार स्वर्ण पदक जीतने का गौरव हासिल किया है। इस जीत का श्रेय भारतीय पुरुष टीम के शतरंज खिलाड़ियों की अद्भुत प्रदर्शन को जाता है, जिन्होंने न केवल अपना दमखम दिखाया, बल्कि पूरे विश्व में भारतीय शतरंज का परचम लहराया। विश्व चैंपियनशिप चैलेंजर डी गुकेश ने अमेरिकी खिलाड़ी फाबियानो कारुआना को पराजित कर इस ऐतिहासिक जीत को सुनिश्चित किया।

भारत की ऐतिहासिक जीत:

शतरंज ओलंपियाड के 45वें संस्करण में भारतीय पुरुष टीम ने 10वें दौर में अमेरिका को 2.5-1.5 के स्कोर से पराजित किया। यह मुकाबला भारतीय शतरंज के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ, क्योंकि इस जीत के साथ भारत ने एक दौर शेष रहते ही स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा पक्का कर लिया। 19 अंकों के साथ शीर्ष पर कायम भारतीय टीम ने अपनी मजबूत स्थिति को बरकरार रखते हुए यह सुनिश्चित कर लिया कि अगले दौर में हारने पर भी उनका स्वर्ण पदक सुनिश्चित रहेगा, क्योंकि उनके पास उच्च टाईब्रेक स्कोर है।

इस निर्णायक मुकाबले में डी गुकेश और अर्जुन एरिगैसी ने महत्वपूर्ण बाजियां जीतीं। डी गुकेश ने अपने से अधिक अनुभवी और मजबूत माने जाने वाले अमेरिकी खिलाड़ी फाबियानो कारुआना को हराकर सभी को चौंका दिया। इस जीत के साथ गुकेश ने खुद को एक उभरते हुए शतरंज स्टार के रूप में स्थापित कर लिया है। वहीं अर्जुन एरिगैसी ने पेरेज को मात दी और विदित गुजराती ने लेवरोन के खिलाफ ड्रॉ खेलते हुए भारतीय टीम की स्थिति को मजबूत किया। हालांकि प्रगनानंदा को वेस्ली सो के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा, लेकिन टीम की संयुक्त जीत सुनिश्चित रही।

महिला टीम का भी दमदार प्रदर्शन:

भारतीय महिला टीम ने भी अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। 10वें दौर में उन्होंने चीन को 2.5-1.5 के स्कोर से शिकस्त दी। महिला टीम का यह प्रदर्शन उनकी दृढ़ता और कौशल का परिचायक है। इस मुकाबले में दिव्या देशमुख ने भारतीय टीम को जीत की राह दिखाई, जबकि वंतिका अग्रवाल, वैशाली और हरिका ने महत्वपूर्ण ड्रॉ खेलकर टीम की जीत में योगदान दिया। दिव्या देशमुख ने चीनी खिलाड़ी शिक्वेन को हराया और वंतिका ने मियाओई को बराबरी पर रोककर टीम को महत्वपूर्ण अंक दिलाए। शीर्ष बोर्ड पर हरिका ने झू जिनेर के खिलाफ ड्रॉ खेला, जबकि वंतिका ने मियाओई के खिलाफ मुकाबला बराबरी पर खत्म किया।

शतरंज ओलंपियाड में भारतीय टीम का सफर:

शतरंज ओलंपियाड में भारतीय टीम का प्रदर्शन इस बार अविश्वसनीय रहा है। पूरे टूर्नामेंट में भारतीय पुरुष टीम ने अपने मुकाबलों में जबरदस्त खेल का प्रदर्शन किया और बिना कोई मुकाबला गंवाए 19 अंकों के साथ शीर्ष स्थान पर कायम रही। यह प्रदर्शन न केवल भारतीय शतरंज की ताकत को दिखाता है, बल्कि इस खेल के प्रति भारतीय खिलाड़ियों की प्रतिबद्धता और समर्पण को भी दर्शाता है। इस जीत ने भारतीय शतरंज को एक नई पहचान दी है और आने वाले समय में इससे भारतीय खिलाड़ियों के आत्मविश्वास में और वृद्धि होगी।

भारत का बढ़ता शतरंज प्रभाव:

शतरंज के खेल में भारत की यह ऐतिहासिक जीत केवल एक स्वर्ण पदक से अधिक मायने रखती है। यह भारतीय शतरंज के बढ़ते प्रभाव और खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। डी गुकेश, प्रगनानंदा, विदित गुजराती और अर्जुन एरिगैसी जैसे युवा खिलाड़ियों ने अपने खेल से दिखा दिया है कि वे किसी भी बड़े खिलाड़ी को मात देने में सक्षम हैं। भारतीय महिला टीम का प्रदर्शन भी उतना ही प्रेरणादायक रहा, जिसमें उन्होंने कड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया।

ग्रैंडमास्टर प्रवीण थिप्से और कोच आर बी रमेश ने इस ऐतिहासिक जीत पर टीम को बधाई दी और टीम की मेहनत की सराहना की। इस जीत ने भारतीय शतरंज की स्थिति को मजबूत किया है और पूरी दुनिया में भारतीय शतरंज का परचम लहराया है।