“चौंकाने वाली रिपोर्ट: वायु प्रदूषण और गर्मी के चलते ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़े, वैश्विक आंकड़ा 1.19 करोड़ के पार”

दुनिया भर में स्ट्रोक यानी मस्तिष्क आघात की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है, और इसके पीछे के कारणों में वायु प्रदूषण और बढ़ते तापमान का प्रमुख योगदान है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स स्टडी (GBD) टीम के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक अध्ययन में पाया कि वायु प्रदूषण, विशेष रूप से पार्टिकुलेट मैटर (PM), मस्तिष्क रक्तस्राव के लिए धूम्रपान जितना ही घातक है। यह पहली बार है जब वायु प्रदूषण को स्ट्रोक का एक बड़ा कारण माना गया है।

वायु प्रदूषण और स्ट्रोक के बीच का संबंध

लैंसेट में प्रकाशित इस अध्ययन में, दुनियाभर में स्ट्रोक और उससे संबंधित मौतों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई गई है। वायु प्रदूषण, बढ़ते तापमान, उच्च रक्तचाप और शारीरिक निष्क्रियता जैसे चयापचय संबंधी कारक, स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, 1990 के बाद से भयंकर गर्मी के कारण स्ट्रोक की घटनाओं में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भविष्य में, बढ़ते तापमान और वायु प्रदूषण की स्थिति और खराब होने के कारण यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है।

34 वर्षों में 44% की वृद्धि

GBD के अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर में 2021 में स्ट्रोक के मामले बढ़कर 1.19 करोड़ हो गए, जो 1990 के मुकाबले 70 प्रतिशत अधिक है। इस अवधि में स्ट्रोक से संबंधित मौतों की संख्या भी 44 प्रतिशत बढ़कर 73 लाख हो गई है। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि इस्केमिक हृदय रोग और कोविड-19 के बाद, स्ट्रोक से होने वाली मृत्यु न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का तीसरा प्रमुख कारण बन गया है।

कम और मध्यम आय वाले देशों में अधिक प्रभाव

स्ट्रोक से प्रभावित 75 प्रतिशत लोग कम और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। इन देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण समस्या और भी गंभीर है। यह देखा गया है कि इन देशों में लोग उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापे जैसी समस्याओं से ज्यादा पीड़ित हैं, जो स्ट्रोक के प्रमुख जोखिम कारक हैं।

धूम्रपान जितना खतरनाक है वायु प्रदूषण

GBD अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि वायु प्रदूषण, खासकर पार्टिकुलेट मैटर (PM), मस्तिष्क रक्तस्राव के लिए धूम्रपान जितना ही खतरनाक है। PM2.5 जैसे छोटे कण हवा में तैरते रहते हैं और सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। यह कण मस्तिष्क के रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है।

स्ट्रोक के कारण समय से पहले मृत्यु

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि स्ट्रोक के कारण समय से पहले मृत्यु में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस समस्या का प्रमुख कारण खराब जीवनशैली और प्रदूषित वातावरण है। बढ़ते तापमान और वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रोक का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। लोगों को अपनी जीवनशैली में सुधार करना और वायु प्रदूषण के खतरों के प्रति जागरूक होना आवश्यक है।

खानपान में सुधार से स्ट्रोक के खतरे को कर सकते हैं कम

अध्ययन में पाया गया कि अच्छे खानपान और धूम्रपान से दूरी बनाए रखने से स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। खराब आहार के कारण स्ट्रोक के मामलों में 40% की कमी दर्ज की गई है। प्रसंस्कृत मांस कम खाने और हरी सब्जियों के सेवन में वृद्धि से भी स्वास्थ्य में सुधार देखा गया है। स्वस्थ आहार न केवल स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है बल्कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाता है।

निवारण के उपाय

  • स्वस्थ आहार: हरी सब्जियों, फलों और साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए। प्रसंस्कृत और वसायुक्त खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
  • शारीरिक सक्रियता: नियमित व्यायाम और योग करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  • धूम्रपान और शराब से दूरी: धूम्रपान और शराब के सेवन से स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है, इसलिए इनसे दूरी बनाए रखना चाहिए।
  • वायु प्रदूषण से बचाव: प्रदूषित क्षेत्रों में जाने से बचें और घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।

अंत में

वायु प्रदूषण और बढ़ते तापमान के कारण स्ट्रोक के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं। हमें अपनी जीवनशैली में सुधार करने, प्रदूषण को कम करने और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है ताकि इस गंभीर समस्या से बचा जा सके। समय रहते इस समस्या पर ध्यान देना आवश्यक है, वरना इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।