अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राज्यपाल ने विद्यार्थियों को उनकी मेहनत और समर्पण के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज का दिन उनके लिए एक मील का पत्थर है, जो उनके परिवारों, शिक्षकों और संस्थान के सहयोग का परिणाम है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करें और अपने समय का सही उपयोग करें।
डेका ने भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और वैश्विक छवि में हो रहे बदलावों पर प्रकाश डाला, खासकर यह देखते हुए कि भारत दुनिया का सबसे युवा राष्ट्र बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि इस युवा वर्ग को अर्थव्यवस्था और विकास का चालक बनने का अवसर मिला है।
यह भी पढ़े: विष्णु देव साय की दूरदर्शिता: सुदूर गांव मुस्कुटी को मिला मुख्य मार्ग से जुड़ने का अवसर
इसके अलावा, राज्यपाल ने नवाचार के क्षेत्र में भारत के योगदान का उल्लेख करते हुए भारतीय गणितज्ञ भास्कराचार्य और शून्य की अवधारणा के विकास की बात की। उन्होंने विद्यार्थियों को स्टार्ट-अप और उद्यमिता के महत्व को समझने का आग्रह किया, ताकि वे रोजगार सृजन में सहयोगी बन सकें।
समारोह की शुरुआत में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस. के सिंह ने स्वागत उद्बोधन दिया और वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कुलाधिपति रविशंकर जी महराज और टी.आई.एस.एस. मुबंई के कुलाधिपति प्रोफेसर डी.पी. सिंह ने भी अपने विचार साझा किए। समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों ने विद्यार्थियों को प्रेरित किया, जबकि प्रति कुलाधिपति हर्ष गौतम ने विद्यार्थियों को शपथ दिलाई।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के स्वशासी निकाय के सदस्य, प्रबंध मंडल के सदस्य, विभागाध्यक्ष, संकाय अध्यक्ष, शिक्षक, पालक और उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे। यह समारोह न केवल एक शैक्षणिक मील का पत्थर था, बल्कि यह छात्रों को अपने ज्ञान का समाज और मानवता के लाभ के लिए उपयोग करने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित करता है।