राष्ट्रपति से मिले बस्तर के नक्सल प्रभावित लोग, मुर्मू का संदेश- शांति और विकास से ही बनेगा लोकतंत्र मजबूत
नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से माओवादी हिंसा के पीड़ित परिवारों के साथ राष्ट्रपति भवन में एक भावनात्मक मुलाकात की। इस विशेष अवसर पर राष्ट्रपति ने न केवल उनके दर्द और संघर्ष को सुना, बल्कि हिंसा से पीड़ित इन परिवारों के प्रति सहानुभूति और समर्थन भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि किसी भी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हिंसा का सहारा लेना उचित नहीं है, क्योंकि यह न केवल समाज को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि उस समुदाय को भी अंधकार में धकेल देती है, जिसकी भलाई के लिए यह दावा किया जाता है।
नक्सल पीड़ित परिवारों से मुलाकात: राष्ट्रपति का संदेश
राष्ट्रपति मुर्मू ने माओवादी हिंसा का शिकार बने परिवारों की कठिनाइयों और चुनौतियों को समझते हुए कहा कि हिंसा के रास्ते पर चलकर किसी भी समस्या का समाधान नहीं निकाला जा सकता। उन्होंने वामपंथी उग्रवादियों से अपील की कि वे हथियार छोड़कर शांति और विकास के मार्ग पर आएं और मुख्यधारा में शामिल हों। राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार हरसंभव प्रयास करेगी कि उन समस्याओं को हल किया जाए, जिन्हें माओवादी उठाने का दावा करते हैं। उन्होंने कहा, “अहिंसा का मार्ग ही एकमात्र ऐसा मार्ग है जो न केवल हमारे समाज को सशक्त बना सकता है, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को भी मजबूत करता है।”
महात्मा गांधी के सिद्धांतों का जिक्र
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए कहा कि लोकतंत्र का आधार अहिंसा है। उन्होंने कहा, “हम एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं, और हमारी ताकत शांति और सहिष्णुता में है। हमें अपने मतभेदों को दूर करने के लिए हिंसा का सहारा लेने की बजाय संवाद और सहनशीलता की ओर कदम बढ़ाना चाहिए।” उन्होंने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे हिंसा से दूर रहकर अपने अधिकारों और समस्याओं के समाधान के लिए संवैधानिक रास्तों का सहारा लें।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी की थी मुलाकात
इससे पहले, बस्तर के नक्सल पीड़ित परिवारों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। शाह ने इस दौरान नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था और विकास कार्यों की प्रगति की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार ने देश के अधिकांश हिस्सों में नक्सलवाद को समाप्त करने में सफलता पाई है और बस्तर के कुछ जिलों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में शांति स्थापित हो चुकी है। गृह मंत्री ने घोषणा की थी कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने नक्सलियों से आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा में शामिल होकर समाज के विकास में योगदान देने की अपील भी की थी।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुधार और विकास की पहल
सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। बेहतर सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और रोजगार के अवसर प्रदान कर इन क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इन क्षेत्रों के लोगों को सुरक्षा और विकास का लाभ मिले, सरकार ने सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक और आर्थिक योजनाओं का भी विस्तार किया है। इस प्रकार की पहल न केवल नक्सल प्रभावित परिवारों को राहत प्रदान कर रही है, बल्कि हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में शांति और समृद्धि की भी संभावना बढ़ा रही है।
विकास और शांति की ओर बढ़ते कदम
राष्ट्रपति मुर्मू की यह पहल माओवादी हिंसा के शिकार परिवारों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। उनके इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि सरकार न केवल नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि नक्सल पीड़ित परिवारों के पुनर्वास और विकास के लिए भी समर्पित है। इस मुलाकात से प्रभावित परिवारों ने भी अपने मनोबल में वृद्धि महसूस की और उन्हें यह विश्वास हुआ कि उनकी समस्याओं का समाधान सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।
लोकतंत्र के मार्ग पर अहिंसा की भूमिका
राष्ट्रपति मुर्मू का संदेश न केवल माओवादी हिंसा के शिकार लोगों के लिए था, बल्कि यह संदेश उन सभी के लिए था जो हिंसा को समाधान मानते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संवाद और समझदारी का स्थान है, न कि हिंसा का। उनके इस वक्तव्य ने समाज में शांति और सहिष्णुता की जरूरत को और भी अधिक स्पष्ट रूप से उजागर किया। उन्होंने सभी से अपील की कि वे महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करें और एक सशक्त और समावेशी समाज के निर्माण में योगदान दें।
राष्ट्रपति मुर्मू की इस पहल ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में एक सकारात्मक संदेश पहुंचाया है। यह उम्मीद की जा रही है कि इस मुलाकात के बाद न केवल पीड़ित परिवारों को संबल मिलेगा, बल्कि यह मुलाकात नक्सलियों को भी अहिंसा और शांति के मार्ग पर लौटने के लिए प्रेरित करेगी। समाज के हर वर्ग को मिलकर प्रयास करना होगा कि विकास और शांति का यह संदेश इन संघर्षग्रस्त क्षेत्रों तक पहुंचे और वहां के लोग भी देश की प्रगति और समृद्धि के सहभागी बनें।