पाटेश्वर सेवा संस्थान समाज में एकता-सद्भाव और सामाजिक समरसता का संदेश प्रदान कर रहा है। उनके कार्याें से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम सबका लक्ष्य मानव मात्र की सेवा करनी है। इसके लिए हर समय हरसंभव प्रयास करनी चाहिए। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने बालोद जिले में पाटेश्वर सेवा संस्थान द्वारा आयोजित माघ पूर्णिमा उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप अपने संबोधन में कही।

राज्यपाल ने प्रदेशवासियों से अपील करते हुए कहा कि अभी कोरोना का संक्रमण खत्म नहीं हुआ हम सभी निरंतर मास्क का उपयोग करें एवं साबुन से निरन्तर हाथ धोये व सावधानी बरते। राज्यपाल ने बाबा पाटेश्वर धाम में पहुंच कर आश्रम एवं मंदिर परिसर का अवलोकन किया और देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की।

राज्यपाल ने कहा कि पाटेश्वर सेवा संस्थान में आकर मुझे सुखद अनुभूति हो रही है। मैंने जैसे ही इस परिसर में कदम रखा तो मेरे मन में एक अद्भुत शांति का अहसास हुआ। ऐसा इस स्थान पर बाबा पाटेश्वर, देवी-देवताओं और यहां पर संतों के पुण्य कार्यों के परिणाम स्वरूप हुआ है। यहां पर जब प्रवेश किया तो मैंने देखा कि ‘‘एक-दूसरे को लोग सीताराम के नाम से पुकार रहे हैं और अभिवादन कर रहे हैं, न कि उनके नाम या उपनाम से। ऐसा दृश्य पहली बार देखने को मिला। इससे यह साबित होता है कि यहां के लोगों में जाति धर्म का कोई भेदभाव नहीं है।

उन्होंने कहा कि सदियों से बाबा पाटेश्वर का आशीर्वाद इस क्षेत्र को मिलता रहा है। वर्षों पहले महंत श्रीराम जानकीदास महात्यागी यहां पधारे थे और उन्होंने यहां के स्थानीय निवासियों के सहयोग से यहां इतना अच्छा आश्रम विकसित किया था। हमारा समाज संस्कारों तथा परंपराओं से जुड़ा हुआ है। सदियों से यह माना जाता रहा है कि जहां पर जैसा कार्य किया जाता है, वहां का वातावरण उसके अनुरूप हो जाता है। शास्त्रों में यह वर्णित है कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। इसी प्रकार से गौमाता की सेवा सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड की सेवा है। इस धाम में यह बात परिलक्षित होती है।

सुश्री उइके ने कहा कि यहां पर प्रभु श्रीराम जी की माता कौशल्या जी का मंदिर निर्माण किया जा रहा है जिसमें भगवान शिव जी, हनुमान जी और कौशल्या जी की मूर्ति स्थापित होगी, भगवान शिव जी एवं हनुमान जी विराज चुके हैं। इसमें विशेष बात यह है कि इस मंदिर परिसर में समस्त समाजों एवं पंथों के 108 आराध्य देवी-देवताओं एवं संत महात्माओं की मूर्तियां स्थापित की जा रही है, जो पूरे भारतवर्ष में इस वनवासी अंचल का मान बढ़ाएगा। यह अद्भुत कार्य है, जो पूरे देश में संभवतः पहला प्रयास होगा। ऐसे कार्यों की जितनी सराहना की जाए, उतनी कम है। ऐसा कार्य वही कर सकता है जिसके मन में समाज के प्रति समर्पण की भावना हो।
राज्यपाल ने कहा कि इस स्थान पर आते ही प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने को मिलता है। आदिवासी समाज सदैव से प्रकृति के साथ जुड़ा रहा है, जो इस स्थान की सुंदरता और वैभव आदिवासी समाज के प्रकृति के साथ संबंध को दर्शाता है। उन्होंने पाटेश्वर संस्कार वाहिनी का गठन के लिए संस्थान तथा उनके द्वारा किये जा रहे सेवा कार्याें के लिए उनके सदस्यों को शुभकामनाएं दी।

राज्यपाल ने कहा कि पिछले कुछ समय से देश में कुछ तत्व भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहे, उनसे सचेत रहे, समाज को शिक्षा रोजगार से जोड़े और जात-पात और अन्य भेदभाव को दूर करते हुए राष्ट्रहित में एकजुट होकर कार्य करे। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश के कुछ क्षेत्र जटिल समस्याओं का सामना कर रहे है। मुझे विश्वास है कि हमें इस समस्या से जल्द मुक्ति मिलेगी और प्रदेश में सुख-शांति स्थापित होगी।
उन्होंने कोरोना संकट के समय समाज सेवा के लिए कार्य करने वाले तथा अपनी जिम्मेदारी निभाने वाले वालिंटियर्स, प्रशासनिक अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस प्रशासन, मीडिया को धन्यवाद और शुभकामनाए दी। कार्यक्रम को सांसद मोहन मंडावी और बाबा संतराम बालकदास महात्यागी ने भी संबोधित किया कार्यक्रम में जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।