सीरिया में अमेरिकी हवाई हमलों में 37 आतंकवादी ढेर, लेबनान और सूडान में चल रहे तनाव के बीच फ्रांस का हस्तक्षेप

 INTERNATIONAL:  सीरिया में हालिया अमेरिकी हवाई हमलों ने चरमपंथी समूहों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कार्रवाई को दर्शाया है, जिसमें 37 आतंकवादी मारे गए हैं। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के अनुसार, मारे गए आतंकवादी इस्लामिक स्टेट और अल कायदा से जुड़े समूहों से थे, और यह हमला उत्तर-पश्चिमी सीरिया में किया गया। इन आतंकवादियों पर सैन्य अभियानों की निगरानी करने की जिम्मेदारी थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका इन संगठनों के खिलाफ अपनी रणनीतिक कार्रवाई को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इसी बीच, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने सूडान में अपने राजदूत के आवास पर हुए हमले की निंदा की है। सूडानी सेना के द्वारा किए गए इस हमले ने यूएई के विदेश मंत्रालय को गंभीरता से प्रतिक्रिया देने के लिए प्रेरित किया है। यूएई ने इस हमले को कायरतापूर्ण करार देते हुए सूडानी सशस्त्र बलों के खिलाफ अरब राज्यों की लीग, अफ्रीकी संघ और संयुक्त राष्ट्र को पत्र भेजने का निर्णय लिया है।

लेबनान में हालात भी तनावपूर्ण बने हुए हैं, जहां इस्राइल हिजबुल्ला के ठिकानों पर हवाई हमले कर रहा है। इन हमलों के बीच, फ्रांस के विदेश मंत्री जीन नोएल बैरट ने लेबनान का दौरा किया है, जहां उन्होंने इस्राइली हमलों को तुरंत रोकने की मांग की। फ्रांस ने लेबनान को मानवीय सहायता भी प्रदान की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यूरोपियन देश क्षेत्र में शांति और स्थिरता के प्रति गंभीर है।

पाकिस्तान में विवादित धर्म प्रचारक डॉ. जाकिर नाईक का आगमन हुआ है, जो एक महीने तक वहां रहने का कार्यक्रम बना चुके हैं। नाईक इस्लामाबाद, कराची और लाहौर में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए तैयार हैं, जिससे उनकी गतिविधियों पर देश में विवाद और चर्चाएँ तेज हो सकती हैं।

अमेरिकी दूतावास ने भारतीय यात्रियों के लिए ढाई लाख नए वीजा अपॉइंटमेंट जारी किए हैं, जो पर्यटन, कुशल श्रमिकों और छात्रों के लिए लाभदायक साबित हो सकते हैं। यह कदम भारत और अमेरिका के बीच के संबंधों को और मजबूत करने का संकेत देता है।

कनाडा के ब्रैम्पटन में, सिख समुदाय ने महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के क्षतिग्रस्त होने पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई इस बर्बरता ने सिख नेताओं को इसकी निंदा करने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के लिए प्रेरित किया है।

फ्रांस की दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन ने यूरोपीय संघ के धन के गबन के आरोपों से इनकार किया है, जो उनके और उनकी पार्टी के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकते हैं। यह मामला न केवल फ्रांस की राजनीति में हलचल पैदा कर रहा है, बल्कि यह दर्शाता है कि राजनीतिक दृष्टिकोण से स्थिति कितनी संवेदनशील हो सकती है।

इन सभी घटनाओं ने न केवल वैश्विक राजनीति में जटिलताएँ बढ़ाई हैं, बल्कि विभिन्न देशों के बीच संबंधों पर भी गहरा प्रभाव डाला है, जिससे भविष्य में संभावित टकराव या सहयोग की संभावनाएँ बनी रहेंगी