विमानन क्षेत्र में भारत को होगी 30 हजार पायलटों की जरूरत
विशाखापत्तनम। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने शनिवार को कहा कि भारतीय विमानन कंपनियों को 1,700 विमानों के लंबित ऑर्डर मिलने के बाद भारत को 30,000 अतिरिक्त पायलटों की जरूरत होगी। विशाखापत्तनम में सीआईआई पार्टनरशिप समिट के दौरान एक सत्र में नायडू ने कहा कि वैश्विक लॉजिस्टिक्स कंपनी फेडेक्स की तरह केंद्र सरकार भी देश में कार्गों हवाई अड्डों का निर्माण करने पर विचार कर रही है।
राम मोहन नायडू ने कहा कि अभी भारत के पास 834 विमानों के बेड़े के लिए लगभग 8,000 पायलट हैं, जिनमें से 2,000 से 3,000 सक्रिय रूप से उड़ान नहीं भर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय विमानन कंपनियों ने बोइंग और एयरबस जैसी कंपनियों को पहले ही 1,700 विमानों के ऑर्डर दे दिए हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक विमान को नियमित तौर पर चलाने के लिए कम से कम 10 से 15 पायलटों की आवश्यकता होगी, जिससे वे अपने निर्धारित शेड्यूल के हिसाब से उड़ान भर सकें। उन्होंने कहा कि इस तरह 1700 विमानों के लिए 10 से 15 पायलटों के हिसाब से करीब 25,000 से 30,000 पायलटों की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे विमान आएंगे, 30,000 पायलटों की मांग होगी। उन्होंने कहा कि इस मांग को पूरा करने के लिए और ज्यादा उड़ान प्रशिक्षण संगठन (FTO) होने चाहिए, क्योंकि मौजूदा संगठन से सीमित संख्या में ही लोग निकलते हैं। मंत्री नायडू ने कहा, “हमारे लिए यह बहुत जरूरी है कि हम अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करें. देश में ही कौशल, प्रशिक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र को भी सुचारू रूप से विकसित करें।” नायडू ने आगे कहा कि विमानन कार्गो क्षेत्र को रेल और सड़क परिवहन से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जो कि सस्ते हैं, जबकि हवाई अड्डा संचालक यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिससे कार्गो पीछे छूट रहा है।
उन्होंने कहा, “अब हम देख रहे हैं कि भारत उस मुकाम पर पहुंच गया है जहां हम आज अपने विमानों का निर्माण, डिजाइन और रखरखाव स्वयं कर सकते हैं। इसलिए यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर हम सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।” मंत्री नायडू ने कहा कि भारत में रोज करीब 4.8 लाख लोग हवाई यात्रा करते हैं। उन्होंने बताया कि बीती 10 नवंबर को 5.3 लाख लोगों ने हवाई यात्रा की थी।
